नारदजी के दर्शन हो जाए तो समझ ले कि निश्चित ही उसे परमात्मा के दर्शन होने वाले हैं : पं मिश्रा

 



चित्तौडग़ढ़। घोसुंडा में श्री कल्लाजी वेदपीठ एवं शोध संस्थान के तत्वावधान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस में प्रतिदिन की भांति प्रात:काल श्रीपाल के हनुमान जी एवं श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर पर पूजन करके रामस्वरूप, दिनेशचंद्र महेशचंद्र, राजेशकुमार नुवाल के निजी आवास पर गणपति पूजन, पुण्याहवाचन, मातृका, नांदिश्राद्ध, आचार्य स्वरूप श्रीकल्लाजी, वास्तु, योगिनी, क्षेत्रपाल, नवग्रह, रुद्रकलश, सगसजी, पितृदेवता, सर्वतोभद्र मंडल एवं स्थापित देवी-देवताओं सहित एकादश श्रीमद्भागवत जी का पूजन करके अभिजीत समय में कथा पांडाल में कथा प्रारंभ हुई। जिसमें भागवताचार्य आचार्य श्री ऋषिकेश मिश्रा ने चतुश्लोकी भागवत, सृष्टि खंड का वर्णन एवं ध्रुव चरित्र में नारद जी महाराज की व्याख्या करते हुए कहा कि नारद जी लड़ाने वाले नहीं होते वह तो सूचना को तुरंत गंतव्य तक पहुंचाने वाले है। नारद जी तो एक मीडिया का कर्म करते हैं। जैसे मीडिया किसी भी सूचना को जन मानस तक पहुंचाती हैं वैसे नारदजी भी पहुंचाते हैं और सन्मार्ग दिखाते हुए सत्य का बोध कराते हैं। यदि किसी को नारदजी के दर्शन हो जाए तो समझ ले कि निश्चित ही उसे परमात्मा के दर्शन होने वाले हैं, क्योंकि कहा गया है कि नारदो देव दर्शनं। नारदजी ने ध्रुव जी महाराज को ? नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र दिया। जिससे उनको प्रभु के दर्शन हुए। राजा प्राचीनबर्हि ने 99 अश्वमेध यज्ञ करवाएं, लेकिन उसको फल प्राप्त नहीं हुआ, क्योंकि उसने मंत्रों का सही अर्थ ग्रहण नहीं किया। मंत्रों का सम्यक ज्ञान हेतु वेद पुराण उपनिषदों का अध्ययन करना जरूरी है और इनके अध्ययन हेतु गुरुकुल में जाना पड़ता है। गुरुकुल में ही गुरु शिष्य को सम्यक ज्ञान एवं दिशा प्रदान करते हैं। वर्तमान समय में श्री कल्लाजी वेद पीठ एवं शोध संस्थान द्वारा सैकड़ों बटुकों के लिए नि:शुल्क भोजन आवास एवं अध्ययन अध्यापन की ऐसी व्यवस्था ठाकुरजी की कृपा से एवं जनसहयोग से पूर्ण होती है। उसके बाद भरतजी महाराज एवं अजामिलोपाख्यान का श्रवण कराया। भागवत जी की 501 दीपमालाओं द्वारा महाआरती की गई। जिसमें घोसुण्डा सहित आसपास के गांवों से भी श्रोताओं ने बढ़चढक़र लाभ प्राप्त किया। उपरोक्त सभी कार्यक्रमों में कोरोना गाइडलाइन का भी पालन किया जा रहा है। 


कैप्शन : 

श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस कथा करतें पं. मिश्रा एवं मधुर भजनों पर नृत्य करते श्रृद्धालु। 

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